ईन्दल हरण ( फाग )
ईन्दल हरण ( फाग )
मझला पति सम्मुख जाई, मनाई बारम्बार, भइली तैयार, गंगा किनार, मुंडन करावई लालन को।।
देवर औ मामा जी सथवा मे जइहै। माँ जी का पूरा मगनवा करइहै।
अउबै लौटि हरषाई।। मनाई बारम्बार।।
आल्हा की आज्ञा से किहलिन पयनवा। पूर्ण किये माँ जी का सबहीं मगनवा।।
उर अन्दर सुखपाई ।। मनाई बारम्बार।।
एक जादूगरनी थी इन सबके बगली। नाम चित्रलेखा था अतिसुन्दर रहली।
ईन्दल पे गइली लुभाई।। मनाई बारम्बार।।
सबही को मूर्छित जदुइया से कइके। कहे आर0 के0 संग ईन्दल को लइके, अपने भवन रहिआई।। मनाई बारम्बार।।
उलारा: अपने गृह जाई (2) सबको लगी रूलावई।।
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