श्रृंगार वर्णन ( फाग )

 श्रृंगार वर्णन ( फाग )

लागे पवन का झकोरा रे झुलनी लहर लहर लहराये।।

मस्तक बीच टिकुलिया सोहे। कजरा कटीला जिआ अति मोहे।।

दिल नहि होय कठोरा रे झुलनी।। लहर लहर।।

सुन्दर कपोल गोल होठो पे लाली। जैसे खिला हो गुलाब फूल डाली।।

मुख छवि चन्द चकोरा रे झुलनी।। लहर लहर।।

ताम्बूल मुख की शोभा बढ़ावे। दातो मे मिश्री की छवि सुहावे।।

तिल काला जिआ मारे मोरा रे झुलनी।। लहर लहर।।

मथवा के बिचवा मे सोहे सेधुरवा। पछुआ बयरिया में उड़ेला अचरवा।

झलके तनिक तन गोरा रे झुलनी।। लहर लहर।।

सोने औ चादी का अनुपम गहनवा, गोड़े मे सोहे गुलाबी रंगनवा।

लागे ना भूषण का ओरा रे झुलनी।। लहर लहर।।

हाथो मे मेहदी औ नाखून पालिस। देखिके करिहै ना आर0 के0 रंजिस।

कोउ नहि किस्मत फोरा रे झुलनी।। लहर लहर।।

उलारा: कइके श्रृंगार (2) काहे जिआ जलाऊँ।।


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