निर्गुण

 निर्गुण

लागे ना एकउ बहाना हो गोरिया, जइबू सजन घर एक दिनवा।।

जवने दिना ओ संदेशवा पइहै। डोलिया उठावइ का दिनवा धरइहै।।

सुनि के नही घबराना हो गोरिया जइबू।।

लइके बरात जब द्वारे पे अइहै, तोहका लियाइ जाइ घर पहुचइहै।।

मुश्किल जान बचाना हो गोरिया जइबू।।

सथवा की तोहरी पाँच सहेलिया। विधि से बनाइ सुन्दर महलिया।।

होइहै सभी बेगाना हो गोरिया जइबू।।

नइहर का पाप पुण्य पुछिहै सजनवा। कहे आर0 के0 करबू बहनवा।

तुमको पडे़ बताना हे गोरिया जइबू।।

उलारा: सब को एक बार(2) पड़े बलम घर जाना।।


Comments

Popular posts from this blog

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किच्ञन।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।