पन्ना का त्याग ( चौताल )

 पन्ना का त्याग ( चौताल )

चौ0: राणा सागा तजे परान, बहादुरशाह हुआ बलवान, शान मान बदे सैन सजाय, ना देर             लगाय।।

दे0: रानी करनवती राखी पठाये, बीर हुमायूँ को भइया बनाये, अपुना चिता लगाये।।

उड़ान: पन्ना दाई लइल्या तु हमरा ललनवा, सेवा करू जबतक रहइ परनवा।।

लचारी: हुमायूँ का सुना विरतिया, विपक्षी लड़इया मेहरिया।।

            चालिभा बहादुरशाह अपने भवनवा।

            हुमायूँ  बनबीर का बनाये शसनवा।।

            पाया वहि देश में बड़इया।। विपक्षी लड़इया में हारिगा।।

चौ0: लेने उदय सिंह का प्राण, कर में लेके चला कृपाण, बनबीर महल बिच आय, न देर                 लगाय।।

दे0: पन्ना की दासी महलिया में आये, दुष्ट बनबीर की नितिया सुनाये, पन्ना सुनत घबराई।।

उड़ान: सोने की पलंगिया से उदै का हटाया, अपने ललनवा को वहि पे सुलाया।

लचारी: पन्ना बनी जान की बचइया।। विपक्षी लड़इया मे हारिगा।।

            मनवा के धीरज को पन्ना न खोइ। नाही धरनिया पे ऐसा है कोई।।

            बने प्रभु रक्षा करइया।। विपक्षी लड़इया मे हारिगा।।

चौ0: पहुँचकर बोला कड़ी जुबान, कहाँ है उदै सिंह नादान, जान छन ही मे देव नसाय, ना            देर लगाय।।

दे0: पन्ना उदै सिंह को दीन्हा छिपाइ, अपने ललनवा को दीन्हा दिखाइ, दुष्ट ने खड़ग चलाई।।

उड़ान: असुवा की धार बहे पन्ना के नयनवा, भय बस बोली नाही पाइ है समनवा।।

लचारी: बना नीच गरदन कटइया।। विपक्षी लड़इया मे हारिगा।।

            पहुँचा हुमायूँ नगरिया में आके, पन्ना सुुनाई कहनिया बताके।

            सुने उसे राजा बनइया।। विपक्षी लड़इया मे हारिगा।।

चौ0: आर0 के0 हरि पर दीजै ध्यान, गया बनबीर छोड़कर प्रान, आन बान शान सबहि गवाय,         ना देर लगाय।।

उलारा: पन्ना का त्याग(2) जग मे अमर कहाये।।


Comments

Popular posts from this blog

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किच्ञन।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।