कौवे का ससुराल जाना ( फाग )
कौवे का ससुराल जाना ( फाग )
अति सुघर बसंत सुहाये, उधर कौवा ससुराल तकाये।।
सुन्दर लगन में कीन्हा तयारी। देखि बरात हुआ कौवा सुखारी।।
दिलवा में मोद बढ़ाये।। उधर कौवा।।
तोता को पंडित की पदवा दिया है। नाउ बना चकवा का जिया है।।
तीतिल शोर मचाये।। उधर कौवा।।
मोर आदि सब बने बराती। कोयल किलहटी होइके घराती।।
दुल्हन को खूब सजाये।। उधर कौवा।।
होतई भोर हुई सबकी विदाई। फाग लिखे आर0 के0 हरषाई।।
लौटी सभी घर आये।। उधर कौवा।।
उलारा: दुलहिन को पाइ (2) कौ हुआ सुखारी।।
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