जयद्रथ बध ( फाग )

 जयद्रथ बध ( फाग )

किहले कौरव हुसियारी, तयारी रण की किये, धोखा दिये, व्यूह रचे, दिया खबरिया पांडव को।।

अर्जुन का लाल गया रण के मझारी। धोखा से मारि उसे भुइया पे डारी।।

जयद्रथ हुआ अत्याचारी।। तयारी रण की किये।।

अभिमन्यु के सर पे रक्खा चरनिया। सुनते ही अर्जुन की जलिगै बदनिया।।

कीन्हा प्रतिज्ञा भारी।। तयारी रण की किये।।

सूर्यास्त से पहले जयद्रथ को मरबै।

नाही तो अग्नी में जनवा गवउबै।।

सूर्यास्त की भइली बारी।। तयारी रण की किये।।

माया से काधा जी रवि को डुबाये।

जयद्रथ आदि सब देखन को आये।।

रवि देखे अर्जुन खरारी।। तयारी रण की किये।।

सूरज को देखि तभी मारे है बनवा। 

कहे आर0 के0 जयद्रथ छोड़े परनवा।।

होइ गये सभी जन सुखारी।। तयारी रण की किये।।

उलारा: अर्जन की लाज (2) बचालिये बनवारी।।


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