Radhekrishna: जयद्रथ बध ( फाग )

Radhekrishna: जयद्रथ बध ( फाग ):  जयद्रथ बध ( फाग ) किहले कौरव हुसियारी, तयारी रण की किये, धोखा दिये, व्यूह रचे, दिया खबरिया पांडव को।। अर्जुन का लाल गया रण के मझारी। धोखा स...

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वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किच्ञन।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।