कौवाली: मुश्किल है

शैर: कहत, नटत, रीझत, खिझत, मिलत, खिलत, लजियात।

भरे भवन मे करत है नयनन ही सो बात।।

इस कपटी संसार मे कुछ है मुश्किल काम।

उसका वर्णन आप सब सुनो हृदय को थाम।।


जब प्रेमी प्रेमिका छुटते है तब रात बिताना मुश्किल है।

अनजाने दिल जब मिलते है तब प्यार दिखाना मुश्किल है।।

कहते हैं कहावत शूल विना पुष्पो का पाना मुश्किल है।

सतवंती नारी जब मिलती तब ही तो रिसाना मुश्किल है।।

इस जग मे गरीबी पाकर के उन्नति पर जाना मुश्किल है।

जब मूर्ख महा कोई होता तब ज्ञान सिखाना मुश्किल है।।

सत्कर्म किये बिन ईश्वर के दरबार मे जाना मुश्किल है।

बिन अन्तः करण पवित्र किये श्री हरी को रिझाना मुश्किल है।।

लिखे गीत आर0 के0 फैशन को इस जग से हटाना मुश्किल है।

जबकि फैशन की दुनिया मे दिन रैन विताना मुश्किल है।।


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