शिव महिमा
शिव शंकर की महिमा अपार, चला चली दरसन करी।।
माथे सोहे तिलक चन्द्रमा।
सर बहती गंगा धार।। चला चली दरसन करी।।
गरदन पे सोहेला सर्पन की माला।
बूढे़ बैल पे सवार।। चला चली दरसन करी।।
कर त्रिशूल बाघम्बर ओढ़े।
विष का किये अहार।। चला चली दरसन करी।।
भूत पिशाच संग शंकर के।
करते मदन जय क्षार।। चला चली दरसन करी।।
जो धावत फल पावत मन का।
कटते पाप हजार।। चला चली दरसन करी।।
आर0 के0 नही शिव की माया को जाने।
जो है अगम अपार।। चला चली दरसन करी।।
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