कजली: कृष्ण आह्वान
आके अपनी तू बसुरी बजावा श्याम।
दरसन दिखावा श्याम ना।।
जैसे पुतना को मारयो, मान की कंस की घटायो।
वैसे आकर के जनवा बचावा श्याम।। दरसन दिखावा श्याम ना।।
देव इन्द्र का गुमान, तोड़े आप भगवान।
मान आकर के अरिकी घटावा श्याम।। दरसन दिखावा श्याम ना।।
किया द्रोपदी पुकार, आप आये उस बार।
किये आकर के साड़ी मे बढ़ावा श्याम।। दरसन दिखावा श्याम ना।।
हुए भक्त जब दुखारी, हरे कष्ट को मुरारी।
आर0 के0 की तू लजिया बचावा श्याम।। दरसन दिखावा श्याम ना।।
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