कजली: निर्गुण
सखिया कधइया सुघर सिंगरवा, पिया मोरा अइहै दुवरवा ना।।
सथवा अइहै बहुत बराती, शोभा निरखि जुड़इहै छाती।
डोलिया साजि के लिये कहरवा।। पिया मोरा अइहै दुवरवा ना।।
गुन गुन कान मे आइ अवजिया, धुन बाजे की सुन भइ रजिया।
लजिया आवत हिय के किनरवा।। पिया मोरा अइहै दुवरवा ना।।
सुनिये हमरी पाँच सहेलिया, विधि से अनुपम बनी महलिया।
छोड़बइ मुह को ढ़ापि चदरवा।। पिया मोरा अइहै दुवरवा ना।।
अपने बचपन की नादानी, कहबै पिय से जाइ जुबानी।
नइया लगि जइहै भव से किनरवा।। पिया मोरा अइहै दुवरवा ना।।
आर0 के0 हरिगुण प्रतिदिन गइब्या, वहि साजन से प्रेम बढ़इब्या।
पउब्या जीवन मुक्ति घरनवा।। पिया मोरा अइहै दुवरवा ना।।
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