कजली: निर्गुण
सखी जइबै चली पिया की बखरिया मे।।
पिया पतिया पठाये, लगन गवन की धराये।
अब ना रहइ मिली बापू की बखरिया मे।। सखी जइबै चली।।
हमरे बापू और भइया, छुटिहै मइया जी भउजइया।
रोइहै खड़े होके सभी जन ओसरिया मे।। सखी जइबै चली।।
प्यारी बहन औ सहेली, छोड़ि जाऊँगी अकेली।
कोई जइहै नही सथवा डगरिया मे।। सखी जइबै चली।।
पुछिहै पिया पुण्य औ पाप, दइके जिअरा के संताप।
भटके आर0 के0 जी प्रभु की दिदरिया मे।।
सखी जइबै चली पिया की नगरिया मे।।
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