कजली: कंस द्वारा कन्या का वध

पहुचे देवकी कुमार, नन्द बाबा के दुआर।

क्रोधी कंस गया मइया के समनवा ना।।

बोल कहाँ मेरा काल, छिपा तेरा अठवा लाल।

देवकी मइया सुनिके करती है रूदनवा ना।। क्रोधी कंस गया।।

यहतो कन्या है भ्रात, मानो बहना की बात।

पइय पड़ूँ छोड़ो बाला का परनवा ना।। क्रोधी कंस गया।।

क्रूर कंस खिसिआय, लीन्ह बाला को उठाय।

चाहा करूँ अभी क्वारी बधनवा ना।। क्रोधी कंस गया।।

गई हथवा से छूट, कंस मानो ना झूठ।

तेरा शत्रु हुआ नन्द के भवनवा ना।। क्रोधी कंस गया।।

हुए आर0 के0 सुखारी, रूप कृष्णा का निहारी।

कंस करई चला मारइ का जतनवा ना।। क्रोधी कंस गया।।


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