कजली: कृष्ण जन्म

दूर करने अत्याचार, उर मे सोचि करतार।

आये श्याम श्री जेल की कोठरिया मे।।

भादो माह आधी रात, तिथी अष्टमी सुहात।

चमके चम चम बिजुली बदरिया मे।। आये श्याम श्री।।

मइया देवकी पुकारी, सुनो अर्ज ये हमारी।

भेजो सुन्दर सुत को नन्द की बखरिया मे।। आये श्याम श्री।।

बन्धन मुक्त हुए आप, दीजै उर को ना संताप।

वरना हमरा जिअरा बचिहै ना फिकरिया मे।। आये श्याम श्री।।

सुनिके मइया की आवाज, रखे आर0 के0 की लाज।

भेजे कान्धा जी को नन्द की ओसरिया मे।। आये श्याम श्री जेल की कोठरिया में।।


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