कजली: वर्षा वर्णन
आई वर्षा बहार, पिया होइ जा तइयार।
लागे सुर सुर ठंडी वयरिया ना।।
तन की तपन भई दूर, खेती करब हम जरूर।
लइके कधवा पे हल ओर कुदरिया ना।। लागे सुर सुर।।
बीज धान का उगावा, मक्का शान से बुआवा।
बाद उर्द ज्वार सथवा बजरिया ना।। लागे सुर सुर।।
तिल्ली पटसन विचार, बोआ अरहर सम्हार।
सनई संग भूल जाओ ना सवरिया ना।। लागे सुर सुर।।
धान खेत मे रोपावा, देर आर0 के0 ना लावा।
मक्का भून भून करा खातिर दरिया ना।।
लागे सुर सुर ठंडी बयरिया ना।।
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