दादरा: राधा जी द्वारा कान्हा जी को खिझाना
शैर: जल भरने राधा चली सखियन संग लिवाय।
मउज लेत काधा भी वहिपर तुरतइ पहुचे जाय।।
राधा जी वंशी चुराकर सब के संग हसने लगी।
कुछ ही पल मे क्रुध्द हो काधा से यु कहने लगी।।
अहिरऊ हो हमइ काहे दिहे गारी।।
तुम तो ढ़ोटा नन्द बबा के।
मै बृषभान दुलारी।। अहिरऊ हो हमइ काहे दिहे गारी।।
तुम हो गोकुल गाव के वासी।
मैं बृज की हूँ नारी।। अहिरऊ हो हमइ काहे दिहे गारी।।
तोहरी तो है कारी बदनिया।
गोरी बदन बा हमारी।। अहिरऊ हो हमइ काहे दिहे गारी।।
इतना सुन श्री कुष्ण रिसाकर।
अपनी राह सिधारी।। अहिरऊ हो हमइ काहे दिहे गारी।।
आर0 के0 कहे राधा श्याम को मनाकर।
नाचे बजाकर तारी।। अहिरऊ हो हमइ काहे दिहे गारी।।
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