गीत: लक्ष्मण शक्ति

शैर: राम औ रावण मे जमकर, शुरू हुआ संग्राम।

लक्ष्मण सोचे मेघनाथ का कर दूँ काम तमाम।।

दीन हितैषी रघुवर से वे, आज्ञा लेकर धाये।

मेघनाथ के सम्मुख जाकर, उससे पीछा खाये।।


रामादल मे दुःख की बढ़ी बदरिया हो, रोवे राम अँसुवा बहाइके।

मेघनाथ क्रोध कइके मारा शक्तिी बनवा।

जाइके घुसा है वाण लक्ष्मण के तनवा।।

मुर्झा मे आई गई शरिरिया।। रोवे राम अँसुवा बहाइके।।

हनुमत जी लेके आये राम के अगारी।

ब्याकुल हुए है रघुवर तन को निहारी।।

सूनी भइली माया की बजरिया।। रोवे राम अँसुवा बहाइके।।

धइके चरनिया प्रभु की बजरंग पुकारे।

जाइके सजीवन लउबइ बलसे तुम्हारे।।

पहुचे है हिमगिरि मझरिया हो।। रोवे राम अँसुवा बहाइके।।

धौलागिरि पर्वत लाये प्रभु के समनवा।

आर0 के0 झुका के शीश करे दरसनवा।।

लखड़ लाल की जिन्दा भई शरिरिया हो।। रोवे राम अँसुवा बहाइके।।


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