कजली: कंस वसुदेव वार्तालाप

अपने मन मे विचार, कइके कंस बार बार, गया पहुचि वासुदेव की दुअरिया ना।।

गले मिले दोनो जन, बोला कंस है वचन।

मानो रिश्ता करब तोहरी खातिदरिया ना।। गया पहुचि वासुदेव की दुअरिया ना।।

हाथ बहन का हमारे, कर मे लीजै आप प्यारे।

सुन्दर जोड़ी सोहै अनुपम बखरिया ना।। गया पहुचि वासुदेव की दुअरिया ना।।

सुनि के कंश की ये बात, बोले सुन्दर बड़ा नात।

अइबइ दुल्हा बनिके तोहरी हम नगरिया ना।। गया पहुचि वासुदेव की दुअरिया ना।।

खुशी आर0 के0 मनावे, कंस महल बीच आवे।

चले दुइनउ ओर प्रेम की बयरिया ना।। गया पहुचि वासुदेव की दुअरिया ना।।


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