दादरा: हनुमान बन्दना

शैर: पवन तनय संकट हरण मंगल मूरत रूप।

       रामलखन सीता सहित हृदय बसहु सुरभूप।।

        खल दल पावक ज्ञान धर, बन्दहु पवन कुमार।

        बसहु राम सर चापधर, जासु हृदय आगार।।


        हे महाबीर अंजनी लाल हम बारम्बार प्रणाम करे।।

        अपनी माता के कहने से रवि मंडल तुमने लील लिया।

        बचपन का प्रभुबर है कमाल।। हम बारम्बार प्रणाम करे।।

        अपने भाई की राजनारि जब बालिबीर ने छीन लिया।

        उस बालि नीच के बने काल।। हम बारम्बार प्रणाम करे।।

        रावण की नगरी मे जाकर सीता माता की खोज किये।

        सगरी नगरी को किया लाल।। हम बारम्बार प्रणाम करे।।

        है खड़ा आर0 के0 कर जोड़े इक झलक प्रेम से दिखलाओ।

        आकर के भगवन करो ख्याल।। हम बारम्बार प्रणाम करे।।


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