गजल: कृष्ण आहवान
तेरे दर्शन की मोहन मै तमन्ना लेके आया हूँ।
आपके पावन चरणो का पुजारी बन के आया हूँ।।
अधम के नाथ कहलाते तो सरनामी अधम हूँ मै।
ना जानू योग तप पूजा अनारी बन के आया हूँ।। तेरे दर्शन।।
विनय भक्तो की सुनकरके कष्ट उनका मिटाये हो।
दया की भीख लेने को भिखारी बन के आया हो।। तेरे दर्शन।।
सुना है गीध गणिका औ अजामिल को आप तारे।
मुझे भी तार दो गिरधर, सहारा लेने आया हूँ।। तेरे दर्शन।।
बड़ा हूँ मै पतित प्रभु तुम पतित पावन कहाते हो।
विनय प्रभु आर0 के0 करता दुखारी बन के आया हूँ।।
तेरे दर्शन की मोहन मै तमन्ना लेके आया हूँ।
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