दादरा: गोपी की शिकायत

शैर: एक दिन की बात है, गोपी जब जल भरने गई।

अपना घड़ा जमुना के जल से भर जभी वापस भई।।

कृष्ण जी गागर को फोरे, गोपी सभी चिल्लाने लगी।

पास मे यशुदा के जाकर इस हाल को बताने लगी।।


करेला मोसे रगरी (2) माई नन्दलाल करेला मोसे रगरी।।

सझवा सबेरे जब जाई हम रहिया।

पाइके अकेली मोरी पकड़ेला बहिया।।

करेला झकझोरी, छीने मोरी गगरी।। माई नन्दलाल करेला मोसे रगरी।।

पनिया भरन जब जाई हम तिरवा।

फारे चुनर मोरी माई तोर हिरवा।।

अखिया से मारे बान, फोरे मोरी गगरी।। माई नन्दलाल करेला मोसे रगरी।।

सखियन के संग जब जाई स्ननवा।

ग्वाल बाल संग लइके बोले बोलहनवा।।

मारे किलकरिया चुरावे मोरी चुनरी।। माई नन्दलाल करेला मोसे रगरी।।

सगरी जवनिया का दान मोसे मागे।

बतिया सुनावे जइसे प्रेम रस पागे।।

आर0 के0 बतावा कइसे यही रही नगरी।। माई नन्दलाल करेला मोसे रगरी।।


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