कजली: सीता बिलाप

सिया अपने महल मे बिहार करें, मन मे विचार करें ना।।

करती मन मे खियाल, हुई पहले जो हाल।

असुवा गारि गारि दुखवा अपार करें।। मन मे विचार करें ना।।

साथ त्रिजटा हमारे, बडे़ प्रेम से निहारे।

वही लंका मे हमरा दुलार करे।। मन मे विचार करें ना।।

रहे जितने हत्यारे, पास हमरे सिधारे।

खड़ग कर मे उठाई के पुकार करें।। मन मे विचार करें ना।।

देखि अँसुवा की धार, राम पहुँचे उस बार।

पूछे राम सिया तुरतइ इनकार करें।। मन मे विचार करें ना।।

काहे अँसुवा बहाई, दीजै जल्दी बताई।

बतिया सुनि सीता नखरा हजार करे।। मन मे विचार करें ना।।

राम रट रट लगाये, सिया भेद को बतायें।

आर0 के0 अइसन गितिया तैयार करें।। मन मे विचार करें ना।।


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