कजली: हिजड़ा को राधा का फटकारना

करत कुलेल श्याम संग राधा, हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

खासा लिहले रूप बनाई, गइल्या जमुना तट निअराई।

घबरा सर पर मटकी बाधा।। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

चट से किया जल मे प्रवेश, छल राधा का दिया कलेष।

जाकर सर जल मे कर आधा।। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

झटपट कुन्ज की ओर निहारे, टहरत राधा नन्द दुलारे।

ठीक समय उर छाई बाधा।। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

डटि के मोहन कहे पुकार, ढ़ोंगी ढ़ोंग रचा इस बार।

ताहि समय बोली हैं राधा।। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

थामे चरण तके यदुराई, दीन्हे राधा को समुझाई।

ध्यान से नजर नदी तट साधा। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

नहि है जल मे मटकी कोई, पिअवा हिजड़ा तुम्हारा जोई।

फसि के प्रेम करत है आधा।। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

वस मे तुम्हरे हमरा तनवा, भावे तुम बिन कुछ ना मनवा।

मोहन कर में कंकण साधा।। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।

यहि छण आर0 के0 गीत सुनावे, राधा हिजड़ा को गरिआवे।

लाये राधा को घर काधा।। हिजड़ा पइले खबरिया ना।।


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