बनारसी: अशोक बन मे सीता की दशा

सीता को लेजा रवणवा, अशोक बन बीचा बिठाये हो।।

राक्षस राक्षसिनी का किये रखवारी।

देखि डेराई जाइ, सिया सिकुमारी।।

आफत मे पड़िगा परनवा, अशोक बन बीचा बिठाये हो।।

आज्ञा दशानन की सबही निभावे।

रात दिन सीता को खूब डरवावे।।

त्रिजटा का सुनि ल्या बयनवा।। अशोक बन बीचा बिठाये हो।।

थोड़ा समय जब त्रिजटा पावे।

सीता की सेवा मे समय मे वितावे।।

मइया को दइके धिरजवा।। अशोक बन बीचा बिठाये हो।।

सीता कहई सुना त्रिजटा सयानी।

अग्नी लिआवा हम तजी जिन्दगानी।।

आर0 के0 कठिन बा रहनवा।। अशोक बन बीचा बिठाये हो।।




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