भजन: कृष्ण बन्दना

शैर: पर्वत गोवर्धन को लिए जय हो श्री भगवान की।

कुछ तो प्रभु सुन लीजिए, इस वक्त अज्ञान की।।

हर घर मे मानव ध्यान से, रटते तुम्हारे नाम को।

कोई रटे सीतापती, कोई रटे घनश्याम को।।


भजो रे मन राधा पति सुखधाम।।

कोई कहे तुम्हे अवध विहारी, कोई कहे घनश्याम।

कोई पुकारे गोपी बल्लभ, कोई कहे सियाराम।। भजो रे मन राधा पति सुखधाम।।

रटन लगे तो अइसन लागे, भजो सुवः अरू साम।

गोपीपति गोपाल गोवर्धन, बलदाऊ बलराम।। भजो रे मन राधा पति सुखधाम।।

श्रीपति, सीतापति, जय लक्ष्मी पति सुखधाम।

आठो पहर जपो मन मेरे, गोवर्धन घनश्याम।। भजो रे मन राधा पति सुखधाम।।

भाई बन्धु अरू कुटुम्ब कबीला, अन्त ना आवे काम।

कहत आर0 के0 दहु सहारा, मोहि लखन सियाराम।। भजो रे मन राधा पति सुखधाम।।


Comments

Popular posts from this blog

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किच्ञन।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।