आरती: गायत्री माता की
आरति श्री गायत्री जी की।
जीवन ज्योति जलावल हिय की।। आरति श्री गायत्री जी की।।
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन, जग पालक हो भव दुःख भंजन।
करहु सदा सन्तन मन रंजन।। सुखकारी हो माँ सबही की।। आरति श्री गायत्री जी की।।
स्वाहा स्वधा शची ब्रम्हाणी, वाणी विद्या जय रूद्राणी।
भक्त जनन की तुम कल्याणी, तुम प्रिय सब भक्तन्ह के हिय की।। आरति श्री गायत्री जी की।।
ऋग, यज, साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे माँ जननी।
कामधेनु सतचित सुख दयनी, अहित करहि नहि माँ कपटी की।। आरति श्री गायत्री जी की।।
काम क्रोध मद लाभ हमारे, होहि द्वेष दुर्भाव किनारे।
मागहु यह बर दुह कर जोरे, देहु भक्ति अविरल चरनन की।। आरति श्री गायत्री जी की।।
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