श्री गणेश बन्दना

आवा महफिल मे हे गणपति बप्पा,

आस मन से लगाये हुए है।।

श्रद्धा के दो सुमन पग मे अर्पित,

करने का मन बनाये हुए है।। आवा महफिल मे।।

तुमको कहते गजानन सभी जन,

कैथा जामुन अधिक है सुहाता।।

कर मे त्रिशूल दुश्मन के खातिर,

आप भगवन उठाये हुए है।। आवा महफिल मे।।

शिव के नन्दन की महिमा निराली,

होती पहले पहल इनकी पूजा।।

भूत गण आदि देवो से पूजित,

मूस को संग लिआये हुए है।। आवा महफिल मे।।

रिद्धी सिद्धी के दाता हो स्वामी,

कुछ दया भीख हमको भी दीजै।।

आसा पूरण करो गौरी नन्दन,

हम विनय को सुनाये हुए हैं।। आवा महफिल मे।।

छाया अधियर बड़ा जिन्दगी में,

कुछ कही ना दिखाता सहारा।

आके तुम्हरी सरन आर0 के0 अब,

शीश पग मे झुकाये हुए हैं।। 

आवा महफिल मे हे गणपति बप्पा,

आस मन से लगाये हुए है।।



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