गणेश बन्दना
तर्ज: पंख होति तो मै उड़ जाती नन्द बबा के द्वार, उमड़ घुमड़ मोरा नयना रोवे, बहे अश्रु की धार, लाल मोरा रोवत होइगो, ललन मोरो खेलत होइगो।।
रिध्दि सिध्दि के दाता की मै नमन करू सौ बार, लड्डू का वह भोग लगाते, विघ्न करे जयछार, अजब है गणपति बप्पा, गजब है गणपति बप्पा।।
प्रभु का नाम गजानन, शिव के लाल कहाये।
गौरी नन्दन का शुभ चन्दन मस्तक बीच सुहाये।।
दुश्मन का संहार करन को लिए त्रिसूली धार।। गजब है गणपति बप्पा।।
नरियल पान सुपाड़ी प्रभु को सदा सुहाये।
मेवा मिश्री आदि आदि से संतन भोग लगाये।।
देव मनुज औ भूत आदि गण करे सदा सत्कार।। गजब है गणपति बप्पा।।
ब्रम्हा विष्णू शिवदानी से आप बढ़ाई पायो।
मात पिता की पूजा करके अपनी मान बढ़ायो।।
इनका ही अनुशरण करने से सुधर जाये संसार।। गजब है गणपति बप्पा।।
भोजन कैथा जामुन गज आनन को भाये।
मंगल दायक के चरणो मे आर0 के0 शीश झुकाये।।
सद्बुध्दि सब को देके करो आप उद्धार।।
गजब है गणपति बप्पा, अजब है गणपति बप्पा।।
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