कृष्ण भक्तिन गोपी की दशा

तर्ज: श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे

श्री श्याम राधिका बैठे रहे बगीचे में।

देखे सखी सब इनको नगीचे से।। श्री श्याम राधिका बैठे रहे बगीचे में।।

श्याम अपनी बसुरिया बजाने लगे।

अपनी सारी सखी को बुलाने लगे।।

आई सखी सब बगिया के बीच में।। श्री श्याम राधिका बैठे रहे बगीचे में।।

एक गोपी के संग ग्वाला जबरी किया।

रास लीला मे उसको न जाने दिया।।

गोपी पति बन्धन से पड़ी सोच मे।। श्री श्याम राधिका बैठे रहे बगीचे में।।

रास लीला मे जाने की जिद पर अड़ी।

गोपी होकर के बेसुध पलंग पर पड़ी।।

प्रेम पहुँचाया ऐसे नतीजे पे।। श्री श्याम राधिका बैठे रहे बगीचे में।।

गोपी पति पास में तन को तजकर चली।

आर0 के0 लिखते उसकी ए गाथा भली।।

दुनिया दहले सदा इस हदीचे से।। श्री श्याम राधिका बैठे रहे बगीचे में।।


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