श्री गणेश बन्दना

तर्ज: करती हूँ मै तुम्हारा ब्रत मैं.............

करता हूँ पग का बन्दन, स्वीकार करो स्वामी।

कर जोर खड़ा हूँ दोनो, उद्धार करो स्वामी।।

जयति जय गणपति बप्पा, जयति जय गणपति बप्पा।।

पूजन करने के खातिर आया हूँ पास तुम्हारे।

लेकिन श्रद्धा को तजकर कुछ ना है पास हमारे।।

यह श्रद्धा सुमन हमारा सुम्मार करो स्वामी।।

कर जोर खड़ा हूँ दोनो, उद्धार करो स्वामी।।

जयति जय गणपति बप्पा, जयति जय गणपति बप्पा।।

जय जग बन्दन उमा के नन्दन चन्दन शीश लगाते।

लड्डू , पान, सुपाड़ी, नरियल तुमको सभी चढ़ाते।।

भक्तो को बचाने खातिर पतवार धरो स्वामी।।

कर जोर खड़ा हूँ दोनो, उद्धार करो स्वामी।।

जयति जय गणपति बप्पा, जयति जय गणपति बप्पा।।

देव दनुज औ मनुज आदि सब प्रभु को शीश झुकाते।

मेवा मिश्री प्रभु को प्यारा उनको भोग लगाते।।

सन्तो के सारे दुःख को जयछार करो स्वामी।। 

कर जोर खड़ा हूँ दोनो, उद्धार करो स्वामी।।

जयति जय गणपति बप्पा, जयति जय गणपति बप्पा।।

कैथा जामुन प्यारा भोजन लम्बोदर को भाये।

रिध्दि सिध्दि के दाता को सब प्रेम से शीश झुकाये।।

दुश्मन के खातिर कर मे हथियार धरो स्वामी।।

कर जोर खड़ा हूँ दोनो, उद्धार करो स्वामी।।

जयति जय गणपति बप्पा, जयति जय गणपति बप्पा।।

माता पिता की सेवा करना गज आनन को भाया।

उनका यह सन्देश आर0 के0 सब को आज सुनाया।।

सब जन के उर मे भक्ती का भण्डार भरो स्वामी।।

कर जोर खड़ा हूँ दोनो, उद्धार करो स्वामी।।

जयति जय गणपति बप्पा, जयति जय गणपति बप्पा।।



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