शिव प्रार्थना

 शिव प्रार्थना

जय गिरिजा पति त्रिपुरारी, प्रभु राखहु लाज हमारी।।

बहे जटा से गंगा धारा, लगे शिव का रूप पियारा।

किये नन्दी बैल सवारी।। प्रभु राखहु।।

शिव शीश पे चन्द्र विराजे, कटि बाघम्बर छवि छाजै।

करे नाग गले फुफकारी ।। प्रभु राखहु।।

तुम नीलकंठ कहलाते, भव का दुःख दूर भगाते।

बनि दीनन के हितकरी ।। प्रभु राखहु।।

प्रभु तुम हो अवढ़र दानी, कुछ सुनिये आरत बानी।

बन आर0 के0 चरण पुजारी ।। प्रभु राखहु लाज हमारी।।


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