मानव संदेश
मानव संदेश
तर्ज - भजन
काहे बदे मनवा करत घटतोली ।।
खान पीन की शुध्द व्यवस्था करो सदा मनलाई।
लम्बी उमर पाके किस्मत ल्या खोली।। काहे बदे मनवा।।
रहन सहन अति सुन्दर करके बोलो मीठी बोली।
कड़ुवी बचन से लागे तनवा में गोली।। काहे बदे मनवा।।
तन ढ़ाकइ का कपड़ा रखो सूती सदा बहार।
फैशन को तजिद्या बन्दे देहिया हो भोली।। काहे बदे मनवा।।
कहे आर0 के0 शान देश की रखिये देकर जान।
सथवा में बोलो सदा जयहिन्द बोली।। काहे बदे मनवा।।
Comments
Post a Comment