श्रवण कुमार की कथा

 श्रवण कुमार की कथा

सुनिके कथा श्रवण की काप उठा भूमण्डल,

कमण्डल सरयू नीर से भरा।।

गुरू की आज्ञा पाकर श्रवण कावॅर लिये उठाई।

मात पिता को तीर्थ कराने अपना कदम बढ़ाई।।

सर पे उठा चले हैं सेवा भ्रम का बण्डल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।।

सगरउ तीर्थ कराते श्रवण पहुँचे सरयू तीर।

माता पिता कहने लागे है पुत्र पिलाओ नीर।।

पानी चले हैं लेने होने लगा अमंगल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।।

जल में जैसे पड़ा कमण्डल भक भक शब्द उचारा।

रहे ताक में राजा दशरथ बाण खीचिके मारा।।

मिरगा समझ रहे पर हार गये वह दंगल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।।

कहे आर0 के0 राजा दशरथ जाकर उन्हे उठाये ।

श्रवण की अन्तिम इच्छा से नीर पिलाने आये।।

आन्धे मात पिता के श्राप से कापे जंगल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।।



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