जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन।

 सोरठा - जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन।
करउ अनुग्रह सोइ बुध्दि रासि सुभ गुन सदन।।1।।

अर्थ - जिनका सुमिरन (जप, तप, स्मरण) करने से सिध्दि(सफलता) प्राप्त होती है और जो बुध्दि के समूह व शुभ गुणों के धाम तथा श्रीमहादेवजी के सब गणों के नायक हैं और जिनका मुख हाथी के समान श्रेष्ठ है, वे श्रीगणेशजी मुझ पर कृपा करें।।1।।


Comments

Popular posts from this blog

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।

न मे पार्थास्ति कर्तव्यं त्रिषु लोकेषु किच्ञन।

श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।