श्री राधा


किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः।


तत्ते कर्म प्रवक्ष्यामि यजात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्।।


कर्म क्या हैं? और अकर्म क्या है? इस प्रकार इसका निर्णय करनेमें 

बुध्दिमान् पुरूष भी मोहित हो जाते हैं। इसलिये वह कर्मतत्व मैं तुझे 

भलीभाँति समझाकर कहूँगा, जिसे जानकर तू अशुभसे अर्थात् कर्मबन्धनसे 

मुक्त हो जायगा।।4.16।।


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