मयि सर्वाणि कर्माणि सन्नयस्याध्यात्मचेतसा।

 श्री राधा


मयि सर्वाणि कर्माणि सन्नयस्याध्यात्मचेतसा।


निराशीनिर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः।।


मुझ अन्तर्यामी परमात्मामें लगे हुए चित्तद्वारा सम्पूर्ण कर्मोंको मुझमें 

अर्पण करके आशारहित, ममतारहित और सन्तापरहित होकर युध्द कर।।

3.30।।


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