नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कच्शन।

 श्री राधा


नैव तस्य कृतेनार्थो नाकृतेनेह कच्शन।


न चास्य सर्वभूतेषु कच्शिदर्थव्यपाश्रयः।।


उस महापुरूषका इस विश्वमें न तो कर्म करनेसे कोई प्रयोजन रहता है और न 

कर्मोंके न करनेसे ही कोई प्रयोजन रहता है। तथा सम्पूर्ण प्राणियोंमें भी 

इसका किच्ञिन्मात्र भी स्वार्थका सम्बन्ध नहीं रहता।।3.18।।


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