दैवमेवापरे यज्ञं योगिनः पर्युपासते।

 श्री राधा


दैवमेवापरे यज्ञं योगिनः पर्युपासते।


ब्रह्माग्नावपरे यज्ञं यज्ञेनैवोपजुहृति।।


दूसरे योगीजन देवताओंके पूजनरूप यज्ञका ही भलीभाँति अनुष्ठान किया 

करते हैं और अन्य योगीजन परब्रह्म परमात्मारूप अग्निमें अभेददर्शनरूप 

यज्ञके द्वारा ही आत्मरूप यज्ञका हवन किया करते हैं।।4.25।।


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