सहयज्ञाः प्रजाः सृष्व्टा पुरोवाच प्रजापतिः।

 श्री राधा


सहयज्ञाः प्रजाः सृष्व्टा पुरोवाच प्रजापतिः।


अनेन प्रसविष्यध्वमेष वोऽस्त्विष्टकामधुक्।।


प्रजापति ब्रह्माने कल्पके आदिमें यज्ञसहित प्रजाओंको रचकर उनसे कहा 

कि तुमलोग इस यज्ञके द्वारा वृध्दिको प्राप्त होओ और यह यज्ञ तुमलोगोंको 

इच्छित भोग प्रदान करनेवाला हो।।3.10।।


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