द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा योगयज्ञास्तथापरे।

 श्री राधा


द्रव्ययज्ञास्तपोयज्ञा योगयज्ञास्तथापरे।


स्वाध्यायज्ञानयज्ञाच्श यतयः संशितव्रताः।।


कर्ह पुरूष द्रव्यसम्बन्धी यज्ञ करनेवाले हैं, कितने ही तपस्यारूप यज्ञ 

करनेवाले हैं तथा दूसरे कितने ही योगरूप यज्ञ करनेवाले हैं और कितने ही 

अहिंसादि तीक्ष्ण व्रतोंसे युक्त यत्नशील पुरूष स्वाध्यायरूप ज्ञानयज्ञ करनेवाले 

हैं।।4.28।।


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