यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।

 श्री राधा


यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।


स यत्प्रमाणं कुरूते लोकस्तदनुवर्तते।।


श्रेष्ठ पुरूष जो-जो आचरण करता है, अन्य पुरूष भी वैसा-वैसा ही 

आचरण करते हैं। वह जो कुछ प्रमाण कर देता है, समस्त मनुष्यसमुदाय 

उसीके अनुसार बरतने लग जाता है।।3.21।।


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