सर्वाणीन्द्रियकर्माणि प्राणकर्माणि चापरे।

 श्री राधा


सर्वाणीन्द्रियकर्माणि प्राणकर्माणि चापरे।


आत्मसंयमयोगान्गौ जुहृति ज्ञानदीपिते।।


दूसरे योगीजन इन्द्रियोंकी सम्पूर्ण क्रियाओंको और प्राणोंकी समस्त 

क्रियाओंको ज्ञानसे प्रकाशित आत्म-संयमायोगरूप अग्निमें हवन किया करते 

हैं।।4.27।।


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