प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।

 श्री राधा


प्रकृतेः क्रियमाणानि गुणैः कर्माणि सर्वशः।


अहक्ङारविमूढ़ात्मा कर्ताहमिति मन्यते।।


वास्तव में सम्पूर्ण कर्म सब प्रकारसे प्रकृतिके गुणोंद्वारा किये जाते हैं तो 

भी जिसका अन्तःकरण अहक्ङारसे  मोहित हो रहा है, ऐसा अज्ञानी ‘मैं कर्ता 

हूँ‘ ऐसा मानता है।।3.27।।


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