यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः।

 श्री राधा


यज्ञशिष्टाशिनः सन्तो मुच्यन्ते सर्वकिल्बिषैः।


भुज्ञते ते त्वघं पापा ये पचन्त्यात्मकारणात्।।


यज्ञसे बचे हुए अन्नको खानेवाले श्रेष्ठ पुरूष सब पापोंसे मुक्त हो जाते हैं 

और जो पापीलोग अपना शरीर-पोषण करनेके लिये ही अन्न पकाते हैं, वे तो 

पापको ही खाते हैं।।3.13।।


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