तद्विध्दि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।

 श्री राधा


तद्विध्दि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।


उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्तवदर्शिनः।।


उस ज्ञानको तू तत्वदर्शी ज्ञानियोंके पास जाकर समझ, उनको 

भलीभाँति दण्डवत्-प्रणाम करनेसे, उनकी सेवा करनेसे और कपट छोड़कार 

सरलतापूर्वक प्रश्न करनेसे वे परमात्मतत्वको भलीभाँति जाननेवाले ज्ञानी 

महात्मा तुझे उस तत्वज्ञानका उपदेश करेंगे।।4.34।।


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