परिवर्तन (गजल)

 परिवर्तन (गजल)

अनोखा खेल इस जग को दिखाता रोज परिवर्तन।
कहीं पर गम कहीं खुशियाँ दिखाता रोज परिवर्तन।।
कहीं पर जन्म का उत्सव, मरण होता कहीं देखा।
मिलन होता कहीं विछुड़न कराता रोज परिवर्तन।। अनोखा खेल।।
कोई दौलत के विन रोता जहाँ के बीच रहकरके।
किसीको धन की सइया पर सुलाता रोज परिवर्तन।। अनोखा खेल।।
मान सम्मान पर मरते बहुत से बीर भारतमें।
कहीं पर लोभी की काया बचाता रोज परिवर्तन।। अनोखा खेल।।
नजर में आर0 के0 दिखते हो रहे रोज परिवर्तन।
सूर्य चन्दा को दे किरणे बुझाता रोज परिवर्तन।। अनोखा खेल इस जग में.....।।


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