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Showing posts from July, 2022

श्रवण कुमार की कथा

 श्रवण कुमार की कथा सुनिके कथा श्रवण की काप उठा भूमण्डल, कमण्डल सरयू नीर से भरा।। गुरू की आज्ञा पाकर श्रवण कावॅर लिये उठाई। मात पिता को तीर्थ कराने अपना कदम बढ़ाई।। सर पे उठा चले हैं सेवा भ्रम का बण्डल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।। सगरउ तीर्थ कराते श्रवण पहुँचे सरयू तीर। माता पिता कहने लागे है पुत्र पिलाओ नीर।। पानी चले हैं लेने होने लगा अमंगल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।। जल में जैसे पड़ा कमण्डल भक भक शब्द उचारा। रहे ताक में राजा दशरथ बाण खीचिके मारा।। मिरगा समझ रहे पर हार गये वह दंगल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।। कहे आर0 के0 राजा दशरथ जाकर उन्हे उठाये । श्रवण की अन्तिम इच्छा से नीर पिलाने आये।। आन्धे मात पिता के श्राप से कापे जंगल।। कमण्डल सरयू नीर से भरा।।

गणेश वन्दना

 गणेश वन्दना गिरजा सुवन की महिमा सारा जग संसार गाये, तीनो दुःख से पार पाये ना।। स्वामी का है गजानन नाम, करते भक्तो का हैं काम। सबके सर के ऊपर दया दृष्टि हर बार छाये।। तीनो दुःख से पार पाये ना।। कैथा जामुन प्रभु को प्यारा, बनते आप जगत से न्यारा। रिद्धी सिद्धी पाके सबही आप से प्यार पाये ।। तीनो दुःख से पार पाये ना।। बनकर प्यारे उमा के लाल, जग में करते सदा कमाल। कर में सदा उठाकर आप त्रिसूलीधार लाये ।। तीनो दुःख से पार पाये ना।। आर0 के0 प्रभु को शीश झुकाये, उनको सभा में आज बुलाये। करिये विघ्न हरण अब टेर सभी इस बार लाये ।। तीनो दुःख से पार पाये ना।।

सरस्वती वन्दना

 सरस्वती वन्दना तर्ज: (गजानन्द महराज पधारो किर्तन की तैयारी है।।) सरस्वती माँ आई विराजो, तुमसे अर्ज हमारी है।। आप का आसन वहाँ पे सोहै, जहाँ पे ऊँच अटारी है।।  सरस्वती माँ आई विराजो, तुमसे अर्ज हमारी है।। ज्ञान ध्यान कछु ना है मइया, केवल आस तुम्हारी है।।  सरस्वती माँ आई विराजो, तुमसे अर्ज हमारी है।। जीवन के सातो दुश्मन से, जीना बहुत ही भारी है।।  सरस्वती माँ आई विराजो, तुमसे अर्ज हमारी है।। दास आर0 के0 यह कर जोड़े, आया शरण तुम्हारी है।।  सरस्वती माँ आई विराजो, तुमसे अर्ज हमारी है।।

श्री सरस्वती बन्दना

 श्री सरस्वती बन्दना करतल वीणा बजावे हो मयनवा।। सरस्वती मइया की उज्जवल चुनरिया। मोरवा संग मे सुहाये हो मयनवा।। करतल वीणा।। स्वेत कमल पर लाइव असनवा। महिमा सुरगण जी गावे हो मयनवा।। करतल वीणा।। जो नर करते माँ तोहरी भजनिया। उनको ज्ञनवा बतावे हो मयनवा।। करतल वीणा।। आर0 के0 सदा चूमै तोहरी चरनिया। नेहिया पग मे लगावे हो मयनवा।। करतल वीणा।।

प्रयाग दर्शन

 प्रयाग दर्शन तीर्थ में शीर्ष खिला प्रयागराज फुलवारी पावन है।। गंगा, यमुना, सरस्वती की बहती है जल धारा। तीनो का संगम है जानो लगे सभी को प्यारा।। बगलइ कुटी बीर बजरंगी की फुलवारी पावन है।। मंगलवार को दर्शन खातिर जुटते है नर नारी। मन्नत मागे विनती कइके जीवन करे सुखारी।। आगे किला की शोभा मन को लगे पिआरी पावन है।। इसी किला के अन्दर यारों है आयुध भण्डार। दुश्मन का छक्का तक छूटे बने बड़ा हथियार।। बगलइ बिड़ला मन्दिर की अति छटा निसारी पावन है।। चन्द्रशेखर आजाद की गाथा जानत सकल जहान। इसी कम्पनी बाग के अन्दर किये जान कुर्वान।। आर0 के0 हाईकोर्ट है न्यायकेन्द्र विस्तारी पावन है।।

मानव संदेश

 मानव संदेश तर्ज - भजन काहे बदे मनवा करत घटतोली ।। खान पीन की शुध्द व्यवस्था करो सदा मनलाई। लम्बी उमर पाके किस्मत ल्या खोली।। काहे बदे मनवा।। रहन सहन अति सुन्दर करके बोलो मीठी बोली। कड़ुवी बचन से लागे तनवा में गोली।। काहे बदे मनवा।। तन ढ़ाकइ का कपड़ा रखो सूती सदा बहार। फैशन को तजिद्या बन्दे देहिया हो भोली।। काहे बदे मनवा।। कहे आर0 के0 शान देश की रखिये देकर जान। सथवा में बोलो सदा जयहिन्द बोली।। काहे बदे मनवा।।