श्याम के विना गोपी की व्याकुलता ( फाग )
श्याम के विना गोपी की व्याकुलता ( फाग ) आ जाओ नन्द के ललनवा तोहइ बिन ना मधुबनवा निक लागे।। राधा सहित जुटी सबही सहेली। पूछइ लगी एक एक से पहेली।। आये ना श्याम समनवा तोहइ विन ना।। बोली सखी एक माना बचनिया। भइली बा हमसे कवनउ नदनिया।। जिससे है रूठल मोहनवा तोहइ विनना।। दूजी कहइ चला चलिके मनाई। नाही तो समझो ना अपनी भलाई। मानिल्या हमरा कहनवा तोहइ विनना।। राधा श्याम की महिमा बताई। कहे आर0 के0 सब दीन्ही मुस्काई। नटवर का देखि अवनवा तोहइ विन ना। उलारा: आकर के श्याम (2) सब को किये सुखारी।।